Thursday, March 31, 2016

कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए

कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए,
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा,
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए.

वो जिसकी याद मे हमने

वो जिसकी याद मे हमने
खर्च दी जिन्दगी अपनी।
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया ।।

न पूछो हालत मेरी रूसवाई के बाद

न पूछो हालत मेरी रूसवाई के बाद,
मंजिल खो गयी है मेरी, जुदाई के बाद,
नजर को घेरती है हरपल घटा यादों की,
गुमनाम हो गया हूँ गम-ए-तन्हाई के बाद!!