मेरा हमसफ़र चला गया
सफ़र अधूरा रह गया
अभी भी उसको ढूंढता हूँ
शक्लों से शक्ल उसकी मिलाता हूँ
मिलता जुलता चेहरा ही दिख जाये
शायद इसी से थोडा चैन आ जाये
हर हाल मैं "निरंतर" वो मेरे साथ रहेगा
जिस्म नहीं तो क्या,रूह का तो साथ होगा
सफ़र अधूरा रह गया
अभी भी उसको ढूंढता हूँ
शक्लों से शक्ल उसकी मिलाता हूँ
मिलता जुलता चेहरा ही दिख जाये
शायद इसी से थोडा चैन आ जाये
हर हाल मैं "निरंतर" वो मेरे साथ रहेगा
जिस्म नहीं तो क्या,रूह का तो साथ होगा