इस बार तो मुझे अपना बनाएँ
उनकी मुस्कराहट को, मैंने निमंत्रण समझा
इशारे को उनकी हाँ समझा
इस खामोख्याली में, उन्हें अपना समझा
सलीके को उनके, मैंने प्यार समझा
इस भूल में गाफिल हुआ, जो हुए ना मेरे
उनकी मुस्कराहट को, मैंने निमंत्रण समझा
इशारे को उनकी हाँ समझा
इस खामोख्याली में, उन्हें अपना समझा
सलीके को उनके, मैंने प्यार समझा
इस भूल में गाफिल हुआ, जो हुए ना मेरे
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