वक्त से डर के रहने मेँ समझदारी भी है
वो कल राजा था
आज भिखारी भी है
औरोँ के काम आना है अच्छी बात है
मगर
इसमेँ छिपी एहसान की बिमारी भी है
वो धनवान है एक जवान बेटी का बाप
एक गरीब केँ दर का वो भिखारी भी है
बुरी नजर की आग लगाई तो खुद जलोगे
घर मेँ बहन और बेटी तुम्हारी भी है
वक्त की बाजी मेँ लगे हो खुद दांव पर
तुमसे बङा "सुमीत" कोई जुआरी भी है॥
वो कल राजा था
आज भिखारी भी है
औरोँ के काम आना है अच्छी बात है
मगर
इसमेँ छिपी एहसान की बिमारी भी है
वो धनवान है एक जवान बेटी का बाप
एक गरीब केँ दर का वो भिखारी भी है
बुरी नजर की आग लगाई तो खुद जलोगे
घर मेँ बहन और बेटी तुम्हारी भी है
वक्त की बाजी मेँ लगे हो खुद दांव पर
तुमसे बङा "सुमीत" कोई जुआरी भी है॥
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